दुनिया के सातवें अजूबे को देखने के लिए 30 साल पहले अकेले ताजमहल का दीदार करने वाली नीली आंखों वाली राजकुमारी डायना। कुछ ही मिनटों में उसने ताज को वह निशानी दे दी, जो अब अपने नाम से दुनिया भर में मशहूर है। ताजमहल के संगमरमर के केंद्रीय टैंक में बेंच का नाम लेडी डायना के नाम पर रखा गया है, जहां वह सिर्फ पांच मिनट के लिए एकांत में बैठी थीं। ताज की यात्रा के ठीक बाद वह प्रिंस चार्ल्स से अलग हो गई थी।
ब्रिटिश शाही परिवार की राजकुमारी डायना की 31 अगस्त 1997 को एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई। बुधवार को उनकी 25वीं पुण्यतिथि है। वह फरवरी 1992 में ताजमहल आई थीं। ताजमहल के सामने संगमरमर की बेंच पर लाल रंग की पोशाक में अकेली बैठी डायना की तस्वीर पूरी दुनिया में वायरल हुई थी। ताजमहल की संगमरमर की बेंच को डायना बेंच के नाम से जाना जाने लगा।
डायना की बेंच देखने के लिए प्रिंस विलियम हिल गए थे
ताजमहल में शाही परिवार की तीन पीढ़ियां आ चुकी हैं। जनवरी 1961 में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने पति प्रिंस फिलिप के साथ ताज का दौरा किया। उन्होंने सेंट्रल टैंक में स्थित इस मार्बल बेंच पर बैठे हुए फोटो भी खिंचवाए। 1992 में राजकुमारी डायना पहुंचीं।
24 साल बाद, जब 16 अप्रैल 2016 को डायना के बेटे प्रिंस विलियम को उनकी पत्नी केट मिडलटन के साथ ताज पहनाया गया, तो डायना को बेंच ने स्थानांतरित कर दिया। वह कुछ देर केट के साथ उसी बेंच पर बैठा रहा। तभी उनकी आंखें नम हो गईं, जिसे छिपाने के लिए उन्होंने चश्मा पहन रखा था।
लॉर्ड कर्जन ने बेंच का गठन किया
1907-08 में लॉर्ड कर्जन द्वारा सेंट्रल टैंक में ताजमहल में चार संगमरमर की बेंचें लगाई गई थीं। इसी बेंच से डायना के ताज की यादगार तस्वीरें हैं। अधीक्षण पुरातत्वविद् डी दयालन ने अपनी पुस्तक ताजमहल और इसके संरक्षण में इसका विवरण दिया है।
30 वर्षों में हर राज्य के मुखिया की तस्वीर खींची गई है
1992 में लेडी डायना के फोटो सेशन के बाद, दुनिया भर के पर्यटक, राष्ट्राध्यक्ष और वीआईपी मेहमान ताज के दृश्य के साथ इस बेंच पर अपनी फोटो क्लिक करवाना चाहते थे। प्रधानमंत्री के साथ बेंच पर बैठी डायना, अमेरिका, चीन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के राष्ट्रपति, वीआईपी तस्वीरें ले रहे हैं.